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इतिहास की लड़ाई
से सुरु होगी कहानी लड़ाई तलवार खून युद्ध का दिर्ष्ट २० सेकिंड की विडियो
होगी
2-
स्कूल की किलास
मे बोड पर लिखा होगा बिषय- इतिहास
टोपिक होगा आजादी की लड़ाई के नायक
3-
टीचर
की लाईन- तो आज हम जानेगे भारत को आजाद करने के लिए लाखो लोगों
ने बलिदान दिया और लाखो गुमनाम हें आज भी
लोग आपने गावों के नायको नाम भी नहीं जानते हें, हाँ पर अपने
आस पास खोज करेंगे तो आप जानेगे की आपके ही गाँव के वीर पुरष ने अपने खून से इस
मट्ठी को सींचा है जाओ खोजो अपने जिले के क्रांतिकारी वीर पुरष की कहानी को
स्कुल के बच्चे पर केमरा जाता है और बच्चा सुचता हे की किस तहर से पता करें कहां
ढूंढे फिर वो पुस्कालय में बुक खोजता है इंटरनेट पर सर्च करता है
तभी एक आवाज आती है येह बालक किस को
इतनी मेहनत से ढूंढे रहा है
बच्चा दर जाता है और कपती आबाज से बोलता है अ अ आप कोन,
नायक - में वो हूँ जिसकी के कारण तू आज आजाद है तेरे अपने अधिकार है कोई रोंक
टोंक नहीं बोलने की अंग्रेजों की गुलामी
नहीं उनका हत्या चार नहीं स्वतंत्रता संग्राम का वो सिपाई जिसका कई लोग मेरा नाम
भी नहीं सुने होगें , चलो आज आपको कुछ दिखता हूँ आजादी की फसल को लहू से सीचने
वाले ऐसे ही थे माखन लाल और
नत्थूलाल पूरनपुर के गांव मुजफ्फरनगर में जन्मे थे उनको इस लिय अंग्रेजों
ने उनके घर में घुसकर 19 जनवरी 1937 को
हत्या कर दी, क्योंकि
वह चुनाव के दौरान ब्रिटिश प्रत्याशी का विरोध कर रहे थे। दोनों ने हमलावरों के
सामने घुटने नहीं टेके। कड़ा मुकाबला करते हुए हंसते-हंसते शहीद माखन लाल और नत्थूलाल सहीद हो गय
पीलीभीत के कई नायक भी जो आप लोग के लिय प्राणों को न्योछावर कर दिए पर आज धीरे-धीरे भूलती जा रहे हैं। इतिहास गवाह है कि देश को
अंग्रेजी हुकूमत से मुक्त कराने के लिए यहां के लोगों ने अपने प्राणों की बाजी
लगाकर अपनी आवाज बुलंद ही नहीं की बल्कि गोरों के छक्के तक छुड़ा दिया थे
देश को आजादी दिलाने वाले
स्वाधीनता संग्राम में पीलीभीत का भी अहम योगदान रहा है. यहां के कई क्रांतिकारियों ने अपने
प्राणों की आहुति देखर देश की गुलाम बेड़ियों के काटा था. आपको
एक ऐसे ही स्वतंत्रतता संग्राम के सेनानी से परिचय कराने जा रहे हैं, जो गैस चौराहे पर ब्रिटिश पुलिस के लाठीचार्ज में शहीद हुए थे.
युवा वीर शहीद दामोदर दास हंसकर आंदोलन में शामिल हुए. तब उन्होंने 26 वर्ष की
उम्र में ही आंदोलन जुलूस में शामिल होकर अंग्रेजों से लोहा लिया. उसी दौरान शीर्ष नेतृत्व करने वाले दामोदर दास वीरगति को प्राप्त हो गए. उनके दादा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे. उनके दादा
से प्रेरणा मिली महज 26 साल की उम्र में हुए थे शहीद
दामोदर दास शहर के एक कपड़ा व्यापारी के पुत्र थे. उनका जन्म सन 1916 में हुआ था. आंदोलन के दौरान दास जी शहर के ललित हरि आयुर्वेदिक महाविद्यालय के छात्र
थे. 14 अगस्त सन 1942 में जब उनकी
मृत्य हुई थी तब उनकी उम्र महज 26 साल थी
दामोदर दास की शहादत के बाद पीलीभीत में ये आंदोलन और भी तेज हो
गया था. उनकी शव यात्रा के
दौरान पुलिस से हुई झड़प में एक पुलिसकर्मी को अपनी जान गंवानी पड़ी थी, जिसके चलते जयसिंह और उनके कई साथियों को कारावास की सजा दी गई आजादी के
बाद सभी को रिहा कर दिया गया.
उन्हीं
में से एक बीसलपुर के कमांडो कहे जाने वाले रामस्वरूप स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे, जिनके नाम पर शहर में
एक पार्क स्थित हैं. शहीद दामोदर दास की स्मृति में 15
अगस्त 1990 को शहर के वरिष्ठ स्वतंत्रता
संग्राम सेनानी कुंवर भगवान
सिंह द्वारा इस पार्क का शिलान्यास किया गया था. जिनकी
शाहदात को याद करते हुए लोग आज भी यहां आकर उनकी स्मृति को याद कर श्रद्धांजलि
अर्पित करते हैं.
पीलीभीत
के खांडेपुर गांव, जहां ब्रिटिश हुकूमत को हिलाने के लिए
बनाया गया था बम
देवहा नदी की तलहटी में बसा खांडेपुर गांव अंग्रेजी राज में
क्रांतिकारी गतिविधियों का प्रमुख केंद्र रहा था। इस गांव के क्रांतिकारी
रामस्वरूप ने अलीगढ़ और गोरखपुर जाकर क्रांतिकारियों से बम बनाने का तरीका सीखा
था। उन्होंने अपने क्षेत्र के क्रांतिकारियों के साथ एक पुल उड़ाने की योजना बनाई।
यह बात अलग है कि किसी ने अंग्रेजों से मुखबिरी कर दी और वह बम विस्फोट नहीं कर
पाए थे।
गांव के पूर्व प्रधान शरदपाल सिंह के
दादा रामस्वरूप स्वतंत्रता सेनानियों के बीच कमांडर के रूप में प्रसिद्ध थे
23 लोगों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया, उनमें के अलावा अयोध्या प्रसाद, जगदीश प्रसाद, ख्यालीराम, रघुनंदन प्रसाद, रोशनलाल, सेवाराम, लाहौरी सिंह, चोखेलाल, लालजीत, बैजनाथ, बद्रीप्रसाद, सुमेरलाल, बालकराम, रामचरनलाल, नत्थूलाल, बांधूलाल, सत्यदेव, प्यारेलाल, शिवचरनलाल, छेदालाल, छोटेलाल और
चंदनलाल थे।
रामस्वरूप का जन्म 5 जुलाई 1896 को
हुआ था। उनका निधन 21 दिसंबर 1984 को हुआ था। उन्होंने पांच बार जेल यात्रा की। लगभग साढ़े
आठ वर्ष कारावास में रहे।
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