देश के संकटमोचक
अजीत डोभाल आज ही के दिन 1945 में देश राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ था आगरा विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र में डिग्री ली और 1968 में केरल कैडर से आईपीएस बने 1972 में इंटेलिजेंट ब्यूरो में पहुंचे और 2005 में रिटायर हुए मिजोरम और पंजाब में अलगाववाद को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई कीर्ति चक्र से भी नवाजा गया 2009 में विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन की स्थापना की 2014 से देश के एनएसए की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
अजीत डोभाल आज ही के दिन 1945 में देश राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ था आगरा विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र में डिग्री ली और 1968 में केरल कैडर से आईपीएस बने 1972 में इंटेलिजेंट ब्यूरो में पहुंचे और 2005 में रिटायर हुए मिजोरम और पंजाब में अलगाववाद को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई कीर्ति चक्र से भी नवाजा गया 2009 में विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन की स्थापना की 2014 से देश के एनएसए की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
एक ऐसा भारतीय जो खुलेआम पाकिस्तान को एक और मुंबई के बदले बलूचिस्तान छीन लेने की चेतावनी देने से गुरेज़ नहीं करता, एक ऐसा जासूस जो पाकिस्तान के लाहौर में 7 साल मुसलमान बनकर अपने देश की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहा हो।
वे भारत के ऐसे एकमात्र नागरिक हैं जिन्हें शांतिकाल में दिया जाने वाले दूसरे सबसे बड़े पुरस्कार कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है। यहां हम बात कर रहे हैं केरल कैडर के 1968 बैच के आईपीएस अजीत डाभोल की जो 1972 में भारतीय खुफिया एजेंसी आईबी से जुड़े। मूलत: उत्तराखंड के पौडी गढ़वाल से आने वाले अजीत डोभाल ने अजमेर मिलिट्री स्कूल से पढ़ाई की है और आगरा विवि से अर्थशास्त्र में एमएम किया है।
डोभाल से क्यों डरता है पाकिस्तान..
डाभोल कई ऐसे खतरनाक कारनामों को अंजाम दे चुके हैं जिन्हें सुनकर जेम्स बांड के किस्से भी फीके लगते हैं। वर्तमान में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद पर आसीन अजीत कुमार डाभोल से बड़े-बड़े मंत्री भी सहमे रहते हैं।
भारतीय सेना द्वारा म्यनमार में सीमापार सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए डाभोल ने भारत के शत्रुओं को सीधा और साफ संदेश दे दिया है कि अब भारत आक्रामक-रक्षात्मक रवैया अख्तियार कर चुका है।
आइए जानते हैं अजीत डोभाल के कुछ रोमांचक किस्सों के बारे में :
1. भारतीय सेना के एक महत्वपूर्ण ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार के दौरान उन्होंने एक गुप्तचर की भूमिका निभाई और भारतीय सुरक्षा बलों के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी उपलब्ध कराई जिसकी मदद से सैन्य ऑपरेशन सफल हो सका। इस दौरान उनकी भूमिका एक ऐसे पाकिस्तानी जासूस की थी, जिसने खालिस्तानियों का विश्वास जीत लिया था और उनकी तैयारियों की जानकारी मुहैया करवाई थी।
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