एक राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी भारत के महान नायक
भारत के अमर शहीद प्रसिद्व क्रांतिकारियों में से एक राजेन्द्रनाथा लाहिदी का निधन 1927 में हुआ था 21 जून 1901 को बंग्लादेश में पबना जिले के अन्तर्गत मड़यां मोहनपुर गांव में हुआ था इनके पिता का नाम क्षिति मोहन लाहिड़ी उनकी माता का नाम बसन्त कुमारी था जब उनका जन्म हुआ था क्रान्तिकारी क्षिति मोहन लाहिड़ी बड़े भाई(उनके चाचा जी) बंगाल में चल रही अनुशीलन दल की गुप्त गतिविधियों में योगदान देने के आरोप में कारावास की सलाखों के पीछे कैद थे। दिल में राष्ट्र- प्रेम की चिन्गारी लेकर मात्र नौ वर्ष की आयू में ही वे बंगाल से अपने मामा के घर वाराणसी पहुंचे। वाराणसी में ही उनकी शिक्षा दीक्षा सम्पन्न हुई। काकोरी काण्ड के दौरान लाहिड़ी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में इतिहास विषय में एम. ए कर रहे थे (प्रथम वर्ष के छात्र थे) 17 दिसम्बर 1927 को गोण्डा के जिलाा कारगार में अपने साथियों से दो दिन पहले उन्हें फांसी दे दी गयी। राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी को देश-प्रेम और निर्भीकता की भावना विरासत में मिली थी। राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी पढाई कर रहे थे तभी सुप्रसिद्व क्रान्तिकारी शचींद्रनाथ सान्याल के सम्पर्क में आ गये। राजेन्द्र की फौलादी हढ़ता, और देश-प्रेम और आजादी के प्रति दीवानगी के गुणों को पहचान कर शचीन दा ने उन्हें बनारस से निकलने वाली पत्रिका बंग वाणी के सम्पादन का दायित्व दे दिया, अनुशीलन समिति का शाखा विभाग का प्रभार को भी समाला तभी उन्हें हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन की गुप्त बैठकों में जाने लागकाकोरी काण्ड:
स्वतन्त्रता-आन्दोलन काकोरी काण्ड को गति देने के लिये धन की तत्काल व्यवस्था को देखते हुए शाहजहाँपुर में दल के सामरिक विभाग के प्रमुख पण्डित राम प्रसाद ‘बिस्मिल‘ के निवास पर हुई बैठक में राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी इस योजना में लाहिड़ी का अहम किरदार था कई आन्दोलन करी से मिले अशफाक उल्ला खाँ ओर चंद्रशेखर आजाद व ओर भी कुल 10 नवयुवको मुकाबला किया
0 Comments