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क्यौं पड़ी नागरीक संसोधन बिल{सीएए} की जरूरत


क्यौं पड़ी नागरीक संसोधन बिल{सीएए} की जरूरत
शव यात्र पर मारते थे पत्थर, इसलिए छोड़ा पाक दुखभरी दास्तां
पोपीन पंवार, यमुनानगरहरियाणा के यमुनानगर जिले में बसे पाकिस्तान से आए 22 हिन्दू  परिवारों में 10 को नागरिकता मिल चुकी है। बाकी परिवार इंतजार कर रहे हैं। नागरिकता संशोधन कानून से इन्हें खुशी का आलम है। इनका कहना है कि पाकिस्तान में नरक जैसे हालात थे। शव यात्र पर पथराव होता था। धर्म पर्वितन के लिए दबाव डाला जाता था। विरोध करने पर जेल हो जाती थी। रविवार को केंद्रीय राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया और क्षेत्रीय भाजपा विधायक घनश्याम दास अरोड़ा मिले तो पाकिस्तान से आए इन लोगों का दर्द जुबान पर आ गया। नगर सुधार मंडल के पूर्व चेयरमैन लक्ष्मण दास बहल (88) बोले कि पाकिस्तान में तीन दफा जिला काउंसलर का चुनाव जीता। हर बार बहुमत मिला, लेकिन उनकी बात नहीं मानी जाती थी। अंतिम संस्कार करने के लिए जब हिन्दू के शव को श्मशान जाते थे तो शव यात्र पर पत्थर फेंके जाते थे। धर्म परिवर्तन के लिए लंबे समय जेल में बंद रखा गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। किसी तरह से परिवार के साथ यमुनानगर पहुंचे। करोड़ों की संपत्ति हजारों में बेची : पूर्ण बहल का पाकिस्तान के कोहाट में कारोबार था। सब कुछ लूट लिया गया। बच्चों को यह भी छिपाना पड़ता था कि हिन्दू हैं। वर्ष 1988 में जब भारत आए तो खुली हवा में सांस ली। वहां उनकी करोड़ों की संपत्ति थी, जो हजारों में बेच दी। यहां आए तो लोगों ने काफी साथ दिया। हमीदा में किराये पर मकान लिया। यहां पर भी अच्छा कारोबार है। पुराने दिनों की याद आती है तो मन घबराता है।
हिन्दू परिवारों में 10 को नागरिकता मिल चुकी है
में जब भारत आए तो खुली हवा में सांस ली। वहां उनकी करोड़ों की संपत्ति थी, जो हजारों में बेच दी।
पाकिस्तान से आए लोगों ने केंद्रीय मंत्री कटारिया को सुनाई आपबीती,कहा-धर्म परिवर्तन के लिए डाला जाता था दबाव
ये शर्त खत्म हो
वैद्य जसबीर का कहना है कि पाकिस्तान से जब कोई हिन्दू वीजा लगाता है तो उनको क्लास वन अधिकारी का आइकार्ड साथ लगाना होता है। ये बहुत बड़ी चुनौती है। इस शर्त में भी संशोधन होना चाहिए।
बिना बुर्के के घर से बाहर नहीं निकल सकते
आजाद नगर में रह रहे रणजीत का कहना है कि उनके पिता दो भाई है। उनके चाचा दर्शन सिंह पहले ही यमुनानगर में आ गए थे। वे पाकिस्तान में फंस गए। परिवार की महिलाएं बुर्का पहन कर घर से बाहर निकलती थी। ¨बदी भी नहीं लगा सकती थी। यदि पता चल जाए कि ये महिलाएं हिन्दू हैं तो उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार होता था। ये सोचकर ही रूह कांप जाती है।


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