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मौला मेरे राम तुम, एक नहीं क्यू हो जाते, लव जिहाद, न दुश्मन हम यूं बन जाते



या मौला मेरे राम तुम, एक नहीं क्यू हो जाते......
.न होता ये लव जिहाद, न दुश्मन हम यूं बन जाते
या मौला मेरे राम तुम एक नहीं क्यूं हो जाते........
कहलाते हम भाई भाई, शुक्र जुमा सब एक ही होते,
न होते गिलवे कोई, अमन चैन हम दिखलाते
या मौला मेरे राम तुम, एक नहीं क्यूं हो जाते.......
मंदिर मस्जिद एक ही होते, प्यार प्यार ही बतलाते
इतिहासों पर दाग न होते, स्वर्णिम गाथा बतलाते
या मौला मेरे राम तुम, एक नहीं क्यूं हो जाते......
लाल हरे का भेद न होते, हमको तुमपे खेद न होते
दिन को ईदी रात दिवाली एक जश्न में रम जाते
या मौला मेरे राम तुम, एक नहीं क्यूं हो जाते.....
इस कंधे पर ताज ले जाते, भण्डारे भी साथ में खाते
आख दिखाता गर कोई तो, साथ मिलकर लड़ जाते
या मौला मेरे राम तुम, एक नहीं क्यूं हो जाते.....
हम तुम दोनों एक ही होते, मजहबी न कहलाते
चाँद चन्द्र में भेद करके, कोई राजनीति न कर पाते
या मौला मेरे राम तुम एक नहीं क्यूं हो जाते.........

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