इंडिया एक्सपो मार्ट सेंटर में चल रहे टॉय फेयर में राजस्थान के कारीगरों द्वारा बनाई गई कठपुतली की राजा-रानी आकर्षण का केंद्र बने
नोएडा के इंडिया एक्सपो मार्ट सेंटर में चल रहे टॉय फेयर में राजस्थान के कारीगरों ने भी अपने स्टॉल लगाए हैं। राजस्थान के कलाकारों द्वारा कठपुतली खेल के राजा-रानी को प्रदर्शित किया गया है। राजस्थान के कलाकारों का कहना है कि विदेशों में कठपुतली के राजा-रानी की काफी मांग है। विदेशी लोग अपने घरों में इसे को सजाकर रखते हैं।
एक्सपो में चल रहे टॉय फेयर में राजस्थान के जयपुर स्थित जगतपुरा के दस परिवारों ने कठपुतली के अपने स्टॉल लगाए हैं। राजस्थान की एक महिला कारीगर मीना भाट ने बताया कि उनका काम लकड़ी से कठपुतली खेल के जोड़े राजा-रानी को तैयार करना है। परिवार के सभी लोग इसी काम से जुड़े हैं। उनकी आजीविका का साधन भी यही है। एक कारीगर पाली भाट ने बताया कि उनके परिवार में सदियों से काम चला रहा है। वह खुद इस काम से जुड़े हैं।
पाली भट्ट ने बताया कि वह कई बार विदेशों में कठपुतली का खेल दिखा चुके हैं। वह कठपुतली बनाना भी जानते हैं और उसका खेल दिखाना भी। भारत में लोग बड़े शौक से पहले कठपुतली का खेल देखते थे। लेकिन आधुनिक युग में कठपुतली का खेल विलुप्त होता जा रहा है। लेकिन, विदेशी नागरिक कठपुतली का खेल देखना पसंद करते हैं। इस कारण विदेशी लोग कठपुतली के राजा-रानी अपने घर ले जाते हैं और सजाकर रखते हैं। विदेशों में कठपुतली के राजा-रानी की काफी मांग बढ़ रही है। लेकिन अपने देश में भी संस्कृति को जिंदा रखने के लिए ईपीसीएस ने उन्हें विशेष रुप से इस शो में आमंत्रित किया है। जिससे कि नई पीढ़ी कठपुतली के बारे में जान सके तो फिर से इस खेल को पसंद किया जा सके।
चार पीढ़ियों से बना रहे खिलौने
टॉय फेयर में पहुंची वाराणसी की शुभी अग्रवाल ने बताया कि उनकी चार पीढ़ियां लकड़ी के खिलौने बनाती आ रही हैं। लकड़ी के परंपरागत खिलौने देश के साथ-साथ विदेशों में भी पसंद किए जा रहे हैं। इनकी मांग लगातार बढ़ रही है। लकड़ी के खिलौनों से बच्चों के स्वास्थ्य पर भी कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है।
कोरोना काल में आया आइडिया
जयपुर की रहने वाली स्नेहा अजमेरा और उनके पति नितिन अजमेरा ने भी मेले में अपना स्टॉल लगाया है। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा बनाए गए सभी खिलौने लकड़ी के है। कोरोना काल में लॉकडाउन होने के दौरान उन्हें खिलौने बनाने का आइडिया आया। जिसके बाद उन्होंने लकड़ी के खिलौने बनाने का निर्णय लिया। आज देश-विदेश में खिलौनों की मांग बढ़ रही है।
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