आ भारत के गौरव आ
मैं तुझे पुनः प्रतिष्ठित करूँ,
इस देश की मिट्टी में।
इस विधि की सृष्टि में।
और सफल बनाऊं,
अपने इस जीवन को।
जो कभी किसी काम न आया।
जिसने भारत मां का,
तनिक बोझ न उठाया।
निष्क्रिय बना यह स्वयं,
और न ही किसी को सक्रिय बनाया।
पर अब यह करेगा ऐसा काम,
की देश लेगा नाम।
आत्म गौरव द्वारा,
पायेगा देश प्रतिष्ठा।
इस प्रकार यह पूर्ण करेगा,
देश की सद इच्छा।
0 Comments