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हर चौथे साल फरवरी में क्यों होते हैं 29 दिन, ऐसा न हो तो क्या होगा

आप ये तो जानते ही होंगे कि यह साल यानी 2020 एक 'लीप ईयर' (Leap Year) है। यानी इस साल फरवरी में 29 दिन होंगे। लीप ईयर में अन्य वर्षों की तुलना में एक दिन ज्यादा होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है? हमारे कैलेंडर में हर चार साल में फरवरी महीने में एक दिन ज्यादा क्यों जोड़ा गया है? अगर ऐसा न हो तो क्या होगा? आइए जानते हैं लीप ईयर से जुड़े इन सवालों के जवाब।

हर चौथे साल में फरवरी 28 के बजाय 29 दिन होते हैं। साथ ही साल में कुल दिनों की संख्या 365 के बजाय 366 होती है। 2020 से पहले 2016 में फरवरी 29 दिनों की थी और आगे 2024 लीप ईयर हो जाएगा।

आखिर एक दिन बढ़ता क्यों है?

  • एक कैलेंडर पृथ्वी के मौसम के अनुरूप होता है। एक कैलेंडर में दिनों की संख्या, पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा करने में लगे समय के बराबर होती है।

    दरअसल पृथ्वी को सूर्य के चारों ओर एक चक्कर पूरा करने में लगभग 365.242 दिनों का समय लगता है। लेकिन हर साल में आमतौर पर केवल 365 दिन होते हैं। अब यदि पृथ्वी के द्वारा लगाए गए अतिरिक्त समय 0.242 दिन को 4 बार जोड़ा जाए तो यह समय एक दिन के बराबर हो जाता है।
  • इसलिए चार वर्षों में लगभग एक पूर्ण दिन हो जाता है और कैलेंडर में हर चार साल में एक बार अतिरिक्त दिन जोड़ा जाता है। इसी साल को लीप ईयर कहते हैं।
  • देखने में यह गलत लग सकता है। लेकिन इस गलती को ग्रेगोरियन कैलेंडर के जरिए सुधारा गया। यह वही कैलेंडर है जिसे हम आज अपने घरों की दीवारों पर लगाते हैं या मोबाइल पर तारीख देखकर अपनी योजनाएं बनाते हैं।
  • साल 1582 में ग्रेगोरियन कैलेंडर पेश किया गया था।
  • क्या ग्रेगोरियन कैलेंडर से पहले कोई कैलेंडर था?
    हां। ग्रोगेरियन से पहले जूलियन कैलेंडर था, जिससे दिनों का निर्धारण होता था। इसे 45 ईसा पूर्व में पेश किया गया था। लेकिन इस प्रणाली में लीप वर्ष के लिए कैलेंडर अलग होता था।
  • जब 4 के बाद आ गई 15 तारीख...

    • जूलियन कैलेंडर में पृथ्वी के एक चक्कर लगाने के निश्चित समय का ज्ञान न होने के कारण इसमें खामियां आने लगीं। यह कैलेंडर 10 दिन पीछे हो गया।
    • 16वीं शताब्दी में जूलियन कैलेंडर की इस विसंगति को ठीक करने के लिए, साल 1582 में पोप ग्रेगरी XIII ने यह आदेश दिया कि उस वर्ष 4 अक्तूबर के बाद सीधे 15 अक्तूबर की तारीख आएगी। इस प्रकार गलती को सुधारा गया था।
    • इस प्रकार पोप ने जूलियन कैलेंडर में लीप ईयर सिस्टम को भी संशोधित किया और नई प्रणाली को ग्रेगोरियन कैलेंडर के रूप में जाना जाने लगा।
    • लीप ईयर कैसे पता करें?

      यह कैसे पता किया जाता है कि कोई वर्ष लीप ईयर है या नहीं। किसी भी वर्ष को लीप ईयर होने के लिए इन दो शर्तों का पालन करना जरूरी होता है।
      • पहली शर्त यह है कि उस वर्ष को चार से पूरी तरह भाग दिया जा सकता हो। जैसे 2000 को 4 से पूरी तरह भाग दिया जा सकता है। इसी तरह 2004, 2008, 2012, 2016 और अब यह नया साल 2020 भी इसी क्रम में शामिल है।
      • दूसरी शर्त यह है कि अगर कोई वर्ष 100 से पूरी तरह भाग दिया जा सके तो वह लीप ईयर नहीं होगा। लेकिन अगर वही वर्ष पूरी तरह से 400 की संख्या से विभाजित हो जाता है तो वह लीप ईयर कहलाएगा।

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