केंद्रीय गृह मंत्री का अरुणाचल से चीन को कड़ा संदेश
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि वह जमाना चला गया जब भारत की भूमि पर कोई भी अतिक्रमण कर सकता था। आज कोई भी आंख उठाकर हमारे देश की सीमा की ओर देख नहीं सकता। सुई की नोक के बराबर जमीन पर भी कोई कब्जा नहीं कर सकता।
अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती गांव किबिथू में वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए शाह ने कहा कि थलसेना और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के पराक्रम ने सुनिश्चित किया है कि कोई भी भारत की एक इंच भूमि तक का अतिक्रमण नहीं कर सकता। शाह ने कहा, अरुणाचल प्रदेश में कोई नमस्ते नहीं बोलता। यहां लोग एक-दूसरे का अभिवादन जय हिंद के साथ करते हैं, जो हमारे दिलों को देशभक्ति की भावना से भर देता है।
किबिथू भारत के सबसे पूर्वी छोर पर स्थित गांव है। शाह ने कहा, मोदी सरकार सीमाओं की सुरक्षा को राष्ट्र की सुरक्षा मानती है। इसीलिए सीमा पर सुविधाएं मुहैया कराना केंद्र सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने दावा किया कि वर्ष 2014 से 2023 के बीच 547 किलोमीटर सीमा पर फेंसिंग का काम पूरा हो चुका है। 1100 किलोमीटर से अधिक सीमा सड़क का निर्माण हुआ।
शहीद जवानों को याद किया शाह ने वर्ष 1962 की जंग में शहीद हुए किबिथू के जवानों को याद करते हुए कहा, संसाधनों के अभाव के बावजूद वे अदम्य साहस के साथ लड़े। 1965 में टाइम मैगजीन ने भी सेना के शौर्य की तारीफ की थी।
पूर्वोत्तर अब अशांत नहीं शाह ने कहा, 2014 से पहले, पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र को अशांत क्षेत्र के रूप में देखा जाता था, लेकिन लुक ईस्ट नीति के कारण इसे अब इसकी समृद्धि और विकास के लिए जाना जाता है।
चीन का ऐतराज खारिज इस बीच चीन ने अमित शाह के अरुणाचल प्रदेश दौरे पर आपत्ति जताई है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेन बिन ने शाह के इस दौरे पर ऐतराज जताया। हालांकि, भारत ने चीन के सभी दावों को सिरे से खारिज कर दिया। शाह मंगलवार को डिब्रूगढ़ में जनसभा को संबोधित करेंगे।
गृह मंत्री ने कहा, पहले सीमावर्ती क्षेत्रों से लौटने वाले कहते थे कि वे भारत के अंतिम गांव में गए, लेकिन मोदी सरकार ने इस विमर्श को बदला। अब लोग कहते हैं कि उन्होंने भारत के प्रथम गांव की यात्रा की है। उन्होंने कहा, भगवान परशुराम ने इसका नाम अरुणाचल प्रदेश रखा था। यह भारत माता के मुकुट का उज्ज्वल गहना है।
केंद्र सरकार ने सीमावर्ती गांव के विकास के लिए वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम शुरू किया है। इसके तहत अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख के 2,963 गांवों की पहचान की गई है। इसका उद्देश्य सीमावर्ती गांवों को विकसित कर ग्रामीणों के जीवन स्तर को बेहतर बनाना है।
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