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राष्ट्र निर्माण करने वाले व्यक्तित्व के लिए सामाजिक और धार्मिक जीवन की शिक्षा जरूरी -डॉ. मनमोहन वैद्य RSS

 

डॉ. मनमोहन वैद्य बोले- सोशल मीडिया पर होने वाली बहस का हिस्सा न बनें RSS स्वयंसेवक

डॉ. मनमोहन वैद्य बोले- सोशल मीडिया पर होने वाली बहस का हिस्सा न बनें RSS स्वयंसेवक

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार विभाग की दो दिवसीय आंतरिक बैठक का समापन रविवार को हुआ। कोईराजपुर स्थित संत अतुलानंद कॉन्वेंट स्कूल में बैठक के बाद सभी पदाधिकारियों ने बाबा विश्वनाथ का दर्शन पूजन किया।



आरएसएस के सह सर कार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि सोशल मीडिया पर हो रहे दुष्प्रचार पर ध्यान न दें। इन पर होने वाले बहस का हिस्सा स्वयंसेवक न बनें। लोगों तक सही बात पहुंचाने का काम करें। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार विभाग की दो दिवसीय आंतरिक बैठक का समापन रविवार को हुआ। कोईराजपुर स्थित संत अतुलानंद कॉन्वेंट स्कूल में बैठक के बाद सभी पदाधिकारियों ने बाबा विश्वनाथ का दर्शन पूजन किया।



बैठक में सह सर कार्यवाह ने कहा कि समाज की स्थानीय समस्या का ज्ञान होना चाहिए। स्कूली शिक्षा के साथ साथ सामाजिक और आध्यात्मिक शिक्षा भी होनी चाहिए। परिकल्पना की दृष्टि से संघ और हिंदू समाज समव्याप्त है और मनोवैज्ञानिक दृष्टि से वह एकात्म है। संघ की साधना को समाजव्यापी करना यही लक्ष्य होना चाहिए। समाज के प्रभावी लोगों की विशेषता, सक्रियता, उपलब्धि, समाज में योगदान आदि की जानकारी प्राप्त करना और उन्हें संघ के विचार कार्य आदि की जानकारी देना चाहिए।


उन्होंने कहा, भारतीय संस्कृति और परंपरा में कुटुंब का विशेष महत्व होता है। पश्चिम चिंतन मानता है कि समाज की सबसे छोटी इकाई व्यक्ति है। भारतीय चिंतन की मान्यता है कि वह कुटुंब है। वर्ष 2025 में संघ अपनी स्थापना के सौ वर्ष पूरे कर रहा है। शेष तीन वर्ष में होने वाली कार्ययोजना पर चर्चा की गई।

बैठक में केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, असाम, अरुणाचल, जम्मू-कश्मीर आदि प्रांतों के लोग शामिल रहे। बैठक में सह सर कार्यवाह अरुण कुमार, अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर, सह प्रचार प्रमुख आलोक कुमार समेत देश भर के संघ के 50 से अधिक प्रांतों के लगभग 200 प्रांतीय प्रचार प्रमुख शामिल रहे। सोमवार को भी चुनिंदा पदाधिकारियों की बैठक होगी।

सामाजिक और धार्मिक जीवन की शिक्षा जरूरी 

बैठक में निर्णय लिया गया कि संपूर्ण समाज ही संघ है। संघ की साधना हो समाजव्यापी बनाने का लक्ष्य ही महत्वपूर्ण होना चाहिए। संपूर्ण विकास और राष्ट्र निर्माण करने वाले व्यक्तित्व के लिए सामाजिक और धार्मिक जीवन की शिक्षा जरूरी है। हमारी विचारधारा हिंदू, आध्यात्मिकता, देश हित, भारतीय तत्व ज्ञान आदि हैं।

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