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तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल में पुलिस और पत्रकारिता विषय पर सेमिनार

 शनिवार को विवि में आयोजित सेमिनार में मंचासीन अतिथि

 पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है।

 पत्रकारिता समाज के प्रहरी के रूप में विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका के कार्यों की जानकारी लोगों तक पहुंचाने का काम करती है। लोकतंत्र के तीन स्तंभों में संतुलन बनाने का कार्य भी पत्रकारिता का ही है। जनता और पुलिस के बीच पत्रकारिता पुल का काम करती है। कभी-कभी पुलिस को अपनी कार्यप्रणाली में पत्रकारिता का सहयोग लेना पड़ता है तो पत्रकारिता भी समाचारों और अन्य जानकारी के लिए पुलिस का सहयोग लेती है।



विवि कैंपस के पत्रकारिता विभाग 

में ‘पुलिस और पत्रकारिता’ विषय पर हुई सेमिनार में यह बात सीओ कोतवाली अरविंद चौरसिया ने कही। उन्होंने कहा कि इन दोनों के मध्य आपसी विश्वास बना रहना चाहिए। यदि विश्वास कम होगा तो उसका नुकसान समाज को उठाना पड़ सकता है, इसीलिए हमें परस्पर संवाद बनाए रखना चाहिए। संवादहीनता तमाम तरह की भ्रांति एवं भ्रामक विचारों को जन्म देती है। डीन आर्ट्स प्रो. नवीन चंद्र लोहानी ने कहा कि पत्रकारिता की भाषा शैली में बदलाव हुआ है।



 भाषा का स्वरूप ऐसा होना चाहिए जो समाचारों को सनसनीखेज बनाने से बचे। कई अवसर ऐसे आए, जब पत्रकारिता ने घटनाओं को सही ढंग से प्रस्तुत करते हुए निर्दोष लोगों को सजा से बचाते हुए मानवता की सेवा की। निदेशक प्रो. प्रशांत कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया। डॉ. मनोज श्रीवास्तव, लव कुमार, बीनम यादव, मितेन्द्र गुप्ता, राकेश कुमार, ज्योति वर्मा, उपेश दीक्षित, शिवकुमार सहित महालक्ष्मी डिग्री कॉलेज के विद्यार्थी शामिल रहे।

तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए क्राइम पत्रकारिता : संतोष शुक्ला



 वरिष्ठ पत्रकार संतोष शुक्ला ने कहा कि क्राइम पत्रकारिता तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए। तकनीक ने सबको बदला है तकनीकी पहलू पर भी ध्यान देना चाहिए। कोई भी खबर लिखने से पहले शब्दों का चयन भी ठीक होना चाहिए उसका ध्यान रखना चाहिए। हम क्या लिख रहे हैं जिससे किसी के मन को ठेस ना पहुंचे और कोई विवाद ना हो।


चौधरी चरण सिंह विवि के तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल में शनिवार को पुलिस और पत्रकारिता विषय पर सेमिनार का आयोजन हुआ। मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार संतोष शुक्ला ने कहा कि एक पत्रकार को उम्र भर एक छात्र के रूप में रहना चाहिए। हमेशा जिज्ञासु रहने के साथ हर खबर को पढ़ना चाहिए चाहे वह किसी भी बीट की हो। क्राइम की पत्रकारिता करते समय आईपीसी की धाराओं का भी ज्ञान होना आवश्यक है। संवाद से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। संवाद के द्वारा ही एक पत्रकार अपनी खबरों के लिए जानकारी प्राप्त करता है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सीओ कोतवाली अरविंद चौरसिया ने कहा कि पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। पत्रकारिता समाज के प्रहरी के रूप में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के कार्यों के विषय में लोगों तक जानकारी पहुंचाने का कार्य करती हैं। लोकतंत्र के तीन स्तंभों में संतुलन बनाने का कार्य भी पत्रकारिता का ही है। जनता और पुलिस के मध्य पत्रकारिता पुल का काम करती है। कभी-कभी पुलिस को अपनी कार्यप्रणाली में पत्रकारिता का सहयोग लेना पड़ता है तो पत्रकारिता भी समाचारों और अन्य जानकारी के लिए पुलिस का सहयोग लेती है। इन दोनों के मध्य आपसी विश्वास बना रहना चाहिए। यदि विश्वास कम होगा तो उसका नुकसान समाज को उठाना पड़ सकता है। इसीलिए हमें परस्पर संवाद बनाए रखना चाहिए क्योंकि संवादहीनता तमाम तरह की भ्रांतियां एवं भ्रामक विचारों को जन्म देती है।।

lekhak- dheeraj singh rampal






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