Header Ads Widget

समस्या का समाधान मिलता है और न ही हम जीवन में आगे बढ़ पाते हैं। विकल्पों का होना अच्छी बात है। पर, विकल्प हमें भटकाते भी हैं। जरूरी है कि मौके और जरूरत को समझकर आगे बढ़ें।

 समस्या का समाधान मिलता है और न ही हम जीवन में आगे बढ़ पाते हैं। विकल्पों का होना अच्छी बात है। पर, विकल्प हमें भटकाते भी हैं। जरूरी है कि मौके और जरूरत को समझकर आगे बढ़ें।

समस्या का समाधान मिलता है और न ही हम जीवन में आगे बढ़ पाते हैं। विकल्पों का होना अच्छी बात है। पर, विकल्प हमें भटकाते भी हैं। जरूरी है कि मौके और जरूरत को समझकर आगे बढ़ें।


 

जब जीवन एक ही ढर्रे पर चलता रहता है तो उसमें नीरसता और उबाऊपन आ जाता है। यह तथ्य हमारे जीवन से जुड़े बाकी कामों पर भी सटीक बैठता है। फिर चाहे वह नौकरी हो या घर की जिम्मेदारियां संभालना। इसीलिए कहा जाता है कि जब कोई काम नीरस और बोझिल लगने लगे, तो उसमें कुछ बदलाव करके देखिए। निश्चित रूप से आपके अंदर फिर से नई ऊर्जा और उत्साह का संचार होगा। पर क्या आप जानते हैं कि यह बदलाव, कई तरह के विकल्प हमें अपने मूल लक्ष्य से भटका भी सकते हैं।

दरअसल, बदलाव एक ऐसी दोधारी तलवार की तरह है, जिससे चोट जरूर लगेगी। पर इसमें एक आम व्यक्ति की कोई गलती नहीं है। हम सबने यही सीखा है कि बदलाव या फिर कई सारे विकल्पों का होना जिंदगी में नयापन लाता है। पर, दुनियाभर के सफल लोगों में से अधिकतर का मानना यह है कि हर नए तरीके पर हाथ-पैर मारने के बजाए हमें, अपना ध्यान लक्ष्य के करीब ले जाने वाली चीजों पर ही रखना चाहिए।

बदलाव अच्छे हैं!

ऐसा नहीं है कि अपने लक्ष्य को पाने के लिए लकीर का फकीर बनकर सिर्फ चलते जाना चाहिए और जीवन में कभी कोई नया अनुभव हासिल नहीं करना चाहिए। वास्तव में परिवर्तन, प्रकृति का नियम होने के साथ-साथ जीवन की आवश्यकता भी है। पर प्रश्न यह उठता है कि आखिर विविधताओं, विकल्पों को कब स्वीकारना चाहिए। इसका उत्तर यह है कि जब जिंदगी अपना हौसला खोने लगे और लड़ने के लिए हिम्मत की जरूरत हो, तब बदलाव स्वीकार लेना चाहिए। बदलाव का मतलब यहां अपने काम करने के तरीकों में बदलाव करना है। अपने लक्ष्यों से समझौता करना नहीं। नए ढंग से काम करना हमारे दिमाग के पैनेपन को बढ़ाता है।

ऐसी स्थिति में बदलाव शारीरिक और मानसिक, दोनों स्तर पर बड़े अच्छे परिणाम दे सकता है। हो सकता है कि अपने मौजूदा हालात से थोड़ा परे हटकर आप अपनी समस्याओं के हल ढूंढ़ने में कामयाब हो जाएं। कई बार खिलाड़ियों की क्षमता बढ़ाने के लिए विशेषज्ञ व्यायाम करने के तरीकों में नयापन लाते हैं। खिलाड़ियों के मूल लक्ष्यों पर नजर रखते हुए वे नए तरीकों को आजमाते हैं। दरअसल, किसी समस्या या संकट की घड़ी में हमारा पूरा जोर जल्दी से जल्दी उस स्थिति से बाहर निकलने में होता है। नतीजा, जहां से जैसी सलाह मिलती है, हम वैसा ही करने लगते हैं। समस्या और समाधान पर सोचे बिना, हम विकल्पों की ओर दौड़ने लगते हैं। पर, इससे बहुत कुछ हासिल हो जाए, इसकी गारंटी नहीं होती।

अपना फोकस बढ़ाएं

आपदा के समय अक्सर व्यक्ति का दिमाग काम करना बंद कर देता है, क्योंकि वह इतना तनाव में होता है कि उसकी तार्किक क्षमता सही ढंग से प्रतिक्रिया नहीं दे पाती। इसकी बजाए यदि अपने तनावों पर काबू रखकर खुद से यह प्रश्न किया जाए कि मौजूदा संकट से निकलने के लिए क्या इतने हाथ-पैर मारने जरूरी हैं। या सिर्फ मूल पर ध्यान केंद्रित करना बेहतर रहेगा। जवाब अपने आप मिल जाएगा।

दरअसल, किसी बदलाव की चाह में अपनी जिंदगी में नए परिवर्तन करने से आपका उद्देश्य पूरा नहीं हो जाता। कभी-कभी किसी बड़ी समस्या का भी एक सरल साधारण सा हल निकल आता है। पर, कुछ लोगों की आदत होती है कि वे हर समस्या को जटिल तरीके से ही सुलझाते हैं,जो सिर्फ तनाव बढ़ाने के अलावा कुछ और नहीं करता।

दो नावों की सवारी नहीं अच्छी

बात चाहे हमारे शारीरिक या मानसिक क्षमताओं की हो, भावनात्मक मजबूती की हो या आपसी रिश्तों की, कभी भी दो चीजों को एक साथ नहीं मिलाना चाहिए। मतलब यह हुआ कि यदि आप चाहें कि एक साथ, एक समय में दफ्तर में, निजी रिश्तों में और सामाजिक स्तर पर अपना सर्वोत्तम प्रदर्शन करते रहें, सबको खुश कर सकें, यह संभव नहीं। क्योंकि बेहतर परिणाम पाने के लिए एक बार में किसी एक लक्ष्य पर ही ध्यान केंद्रित करना ज्यादा बेहतर साबित होता है।

इस तरह आप अनावश्यक तनाव से तो बचते ही हैं, साथ ही जिंदगी को भी उत्साह से जी पाते हैं। मसलन, दुनिया अकसर आपसे अपेक्षा करती है कि अपने संकट के समय में आप अपने भीतर लड़ने का हौसला कायम रखें और अपनी जिंदगी भी सामान्य रूप से जीते रहें। जो हमेशा संभव नहीं हो पाता। संकट या विपदा के समय चिंता होना एक स्वाभाविक सी बात है। उस समय आप न किसी से अच्छे मन से मिल पाते हैं और न ही किसी काम का आनंद उठा पाते हैं। खुद को पूरे तरीके से स्थितियां सामान्य करने में ही झोंक देना कोई नतीजा नहीं देता।

बेहतर होगा कि यदि संकट गंभीर है तो बाकी हर चीज से ध्यान हटाकर पहले सिर्फ उसी से निपटा जाए। यदि हमें अपने समय में बेहतर नतीजे हासिल करने हैं तो जरूरी है कि हम खुद को गैरजरूरी विकल्पों की ओर भागने से रोकें। हमें फोकस चाहिए। ऐसे में दूसराें की मदद लेने से भी ना हिचकिचाएं।

Post a Comment

0 Comments